चैत्र नवरात्रि की आज यानि 9 अप्रैल से शुरुआत हो चुकी है.9 अप्रैल से लगातार 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की आराधना होगी.इस बार चैत्र नवरात्र का प्रारंभ 9 अप्रैल से हो रहा है इसका समापन 17 अप्रैल को होगा.नवरात्र के पहले दिन आज मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है.चैत्र नवरात्रि के शुभारंभ होने के साथ ही नया हिंदू वर्ष भी आरंभ होता है. खास बात ये है कि चैत्र नवरात्र के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहे हैं. इस साल चैत्र नवरात्रि बहुत शुभ मानी जा रही है.क्यों कि 30 साल बाद अमृति सिद्धि योग बन रहा है.ऐसा कहा जाता है की अमृत सिद्धि योग में माता रानी की पूजा करने से सभी दुखों और कष्टों का नाश होता है.
कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त
घट स्थापना के लिए मुहूर्त सुबह 6:02 से लेकर 10:16 मिनट के मध्य रहेगा.9 अप्रैल को अभिजीत मुहूर्त 11:57 से 12:48 बजे के मध्य रहेगा.इस अभिजीत मुहूर्त में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य किया जा सकता है.
कलश स्थापना की सामग्री
मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है, इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें. इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए.
पूजा विधि :सुबह उठकर जल्दी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें.घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें.मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं.धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें.