देहरादून। वर्ष 2016 के ‘स्टिंग ऑपरेशन’ मामले में विशेष CBI (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) अदालत ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सहित 4 नेताओं को अपनी आवाज के नमूने देने के आदेश दिए हैं।
विशेष न्यायाधीश, सीबीआई धमेंद्र अधिकारी ने सोमवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता रावत, राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, द्वाराहाट से कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट और स्टिंग करने वाले पत्रकार और अब खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा को अपनी आवाज के नमूने देने के आदेश दिए हैं।
आवाज के नमूने कब और कहां लिए जाएंगे, इसके बारे में CBI इन नेताओं को अलग से नोटिस जारी करेगी। इससे पहले, 15 जुलाई को मामले की सुनवाई के दौरान उमेश शर्मा को छोड़कर अन्य सभी नेताओं के वकीलों ने इस आधार पर CBI के आवाज का नमूना लेने पर सवाल उठाए थे कि मामले से जुड़ी एक याचिका उत्तराखंड उच्च न्यायालय में लंबित है जिस पर 27 जुलाई को फैसला आना है।
वर्ष 2016 में 10 कांग्रेस विधायकों ने हरीश रावत के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ विद्रोह करके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिला लिया था, जिसके बाद यह ‘स्टिंग ऑपरेशन’ सामने आया था। इस स्टिंग में सुनाई दे रही आवाजों के मिलान के लिए CBI ने अदालत से अनुमति मांगी थी।
स्टिंग के इस वीडियो में अपनी सरकार बचाने के लिए रावत असंतुष्ट विधायकों का समर्थन फिर हासिल कर सत्ता में बने रहने के लिए कथित तौर पर सौदेबाजी करते नजर आ रहे थे। वीडियो सामने आने के बाद, पहले से ही अस्थिर राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया था।
उस वक्त कांग्रेस विधायकों की बगावत के बाद बनी परिस्थितियों में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। हालांकि, उच्चतम न्यायालय के आदेश पर विधानसभा में हुए शक्तिपरीक्षण में बहुमत हासिल करके रावत सरकार फिर बहाल हो गयी थी लेकिन इसमें बागी विधायकों को मत डालने के अधिकार से वंचित कर दिया गया था।