Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार वैशाली जिले की महुआ विधानसभा सीट सुर्खियों में है। इस सीट पर लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव एक बार फिर अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि 2015 में इसी सीट से अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत करने वाले तेज प्रताप इस बार अपनी नई पार्टी ‘जनशक्ति जनता दल (JJD)’ के बैनर तले चुनावी मैदान में उतरे हैं।
तेज प्रताप के नामांकन के दिन परिवार का कोई सदस्य उनके साथ नहीं दिखा, जिससे यह साफ संकेत मिला कि तेजस्वी यादव और राजद उनसे दूरी बनाए हुए हैं। राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा है कि तेजस्वी किसी भी हाल में तेज प्रताप को यह सीट जीतने नहीं देना चाहते। हालांकि, तेज प्रताप यादव को नज़रअंदाज़ करना विरोधियों के लिए भारी पड़ सकता है। उनके पास अपने पिता लालू प्रसाद यादव की तरह एक खास राजनीतिक करिश्मा और ह्यूमर है, जो उन्हें जनता और खासकर सोशल मीडिया पर बेहद लोकप्रिय बनाता है।

महुआ सीट पर बढ़ी सियासी गर्मी, लालू परिवार की अंदरूनी जंग पहुंची चरम पर
बिहार की महुआ विधानसभा सीट, जो लंबे समय से राजद (RJD) का पारंपरिक गढ़ रही है, इस बार राजनीतिक हलचल का केंद्र बन गई है। दिलचस्प बात यह है कि आम मतदाता आज भी तेज प्रताप यादव को लालू परिवार से अलग नहीं मानते और यही भावनात्मक जुड़ाव उनके लिए सबसे बड़ा चुनावी हथियार साबित हो सकता है। अगर तेज प्रताप इस जनभावना को सही तरीके से कैश कर लेते हैं, तो वे अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव के लिए एक बड़ी राजनीतिक चुनौती बन सकते हैं। इस सीट पर मुकाबला सिर्फ पार्टियों के बीच नहीं, बल्कि परिवार की विरासत और प्रभाव की साख का भी है। फिलहाल महुआ में जीत-हार का समीकरण यादव वोटबैंक, दलित समुदाय की भूमिका, मुस्लिम मतों के झुकाव और विकास के वादों पर निर्भर करता दिख रहा है। ऐसे में यह सीट बिहार की सबसे दिलचस्प और हाई-वोल्टेज लड़ाई में बदल चुकी है।
महुआ को बिहार की सबसे रोमांचक और हाई-वोल्टेज सीट
बिहार की महुआ विधानसभा सीट, जो 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई, हमेशा से लालू प्रसाद यादव की सामाजिक न्याय की राजनीति का केंद्र रही है। कभी यह सीट आरजेडी के लिए अभेद्य किला मानी जाती थी — और अब एक बार फिर यहां तेज प्रताप यादव बनाम तेजस्वी खेमे की अंदरूनी जंग ने इसे सुर्खियों में ला दिया है। 2000 और 2005 के चुनावों में आरजेडी ने अपनी मजबूत पकड़ दिखाई थी, लेकिन 2010 में जेडीयू के रविंद्र राय ने एनडीए की लहर पर सवार होकर यह किला ढहा दिया। हालांकि 2015 में तेज प्रताप यादव ने शानदार वापसी की और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के रविंद्र राय को 28,155 वोटों (18.46%) के बड़े अंतर से हराते हुए आरजेडी का झंडा फिर लहरा दिया। यह जीत न सिर्फ महागठबंधन की सफलता थी, बल्कि यादव-मुस्लिम समीकरण की मजबूती का भी प्रतीक बनी। 2020 के चुनाव में तेज प्रताप हसनपुर शिफ्ट हो गए, और महुआ में आरजेडी के मुकेश कुमार रौशन ने जेडीयू की आशमा परवीन को 13,770 वोटों से हराकर सीट बचाई। इस चुनाव में कुल वैध वोट 1,72,026 थे, जिनमें से रौशन को 62,747 (36.48%) वोट मिले।
2025 में मुकाबला चार तरफा हो गया है —
- जेजेडी के तेज प्रताप यादव
- आरजेडी के मुकेश रौशन (तेजस्वी के करीबी)
- एनडीए के लोजपा (रामविलास) के संजय कुमार सिंह
- और जन सुराज पार्टी के इंद्रजीत प्रधान मैदान में हैं।
महुआ में कुल 2,86,501 मतदाता हैं — जिनमें 21.17% दलित, 15.10% मुस्लिम, 25-30% यादव, 20% कोइरी-कुर्मी और अन्य पिछड़े वर्ग निर्णायक भूमिका में हैं। सबसे खास बात यह है कि यहां के युवा मतदाता (18-30 वर्ष) विकास, रोजगार और राजनीतिक स्थिरता जैसे मुद्दों को लेकर सबसे ज्यादा सक्रिय हैं।
इस बार की लड़ाई सिर्फ वोटों की नहीं, बल्कि लालू परिवार की विरासत पर अधिकार की भी है — और यही महुआ को बिहार की सबसे रोमांचक और हाई-वोल्टेज सीट बना रहा है।




