Bihar Assembly Election : नई दिल्ली। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन ने बिहार विधानसभा चुनाव में ‘महागठबंधन’ के घटक के तौर पर 19 सीटों पर चुनाव लड़ने की पेशकश को यह कहते हुए ठुकरा दिया है कि यह ‘‘सम्मानजनक’’ प्रस्ताव नहीं हैं। वामपंथी दलों से जुड़े सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि भाकपा (माले) लिबरेशन ने वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में जितनी सीटों पर चुनाव लड़ा था, इस बार उसे उतनी ही सीटों की पेशकश की गई थी। उनका कहना है, इनमें से हमारी कम से कम तीन सीटें बदल दी गईं।
पिछले विधानसभा चुनाव में वह 19 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 12 सीटें जीती थी। इस बार, वामपंथी दल ने लड़ने के लिए लगभग 40 सीटें मांगी थीं। पार्टी से संबंधित एक सूत्र ने कहा, भाकपा (माले) लिबरेशन ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया क्योंकि यह सम्मानजनक प्रस्ताव नहीं था, और हम लगभग 30 सीटों पर लड़ने के लिए एक नया प्रस्ताव रखने जा रहे हैं। भाकपा (माले) ने यह भी तर्क दिया है कि पार्टी ने ‘महागठबंधन’ को न केवल उन सीटों पर मदद की जिन पर उन्होंने चुनाव लड़ा था, बल्कि आसपास के इलाकों में वोट भी हासिल किए। यह पूछे जाने पर उनका प्रस्ताव नहीं माने जाने पर क्या रुख होगा तो वामपंथी दल के सूत्रों ने कहा, ‘‘सभी विकल्प खुले हैं।महागठबंधन में कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, वाम दल और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) शामिल हैं। वर्ष 2020 में राजद ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा और 75 पर जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा और 19 पर जीत हासिल की।

बिहार में चुनावी कार्यक्रम की घोषणा
निर्वाचन आयोग सोमवार को बिहार विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा कर दी। बिहार चुनाव दो चरण में होंगे। 6 और 11 नवंबर को मतदान और 14 नवंबर को मतगणना होगी। निर्वाचन आयोग आज बिहार विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा रहा है। बिहार में 243 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है। मतदान केंद्र पर इस बार 1200 मतदाता रहेंगे। 7.2 करोड़ मतदाता हैं। 14 लाख पहली बार वोट डालेंगे। 40 सीट आरक्षित हैं।
बिहार में 14,000 मतदाता 100 वर्ष से अधिक आयु के हैं, राज्य में कुल 90,712 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में नई व्यवस्था के तहत मतदाता मतदान कक्ष के ठीक बाहर अपने मोबाइल फोन जमा करा सकते हैं और मतदान करने के बाद वापस ले सकते हैं। राजनीतिक दलों ने निर्वाचन आयोग से अक्टूबर के अंत में छठ पर्व के तुरंत बाद चुनाव कराने का आग्रह किया है, अधिक से अधिक मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके क्योंकि बड़ी संख्या में बाहर काम करने वाले लोग उस दौरान त्योहारों के लिए घर लौटते हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव कोविड-19 महामारी की पृष्ठभूमि में तीन चरणों में हुए थे।