Delhi High Court On Patanjali: दिल्ली हाईकोर्ट से पतंजलि को बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने गुरुवार को डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक विज्ञापन प्रसारित करने से पतंजलि पर रोक दिया है. कोर्ट ने कहा कि पतंजलि के विज्ञापन उपभोक्ताओं को भ्रमित कर रहे हैं और डाबर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इस विवाद में डाबर ने पतंजलि पर आरोप लगाया था कि वह अपने विज्ञापनों के ज़रिए जानबूझकर डाबर के च्यवनप्राश को कमजोर और सामान्य दिखाकर उसकी साख को चोट पहुंचा रही है. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में अंतरिम आदेश देते हुए पतंजलि को भविष्य में ऐसे विज्ञापन प्रसारित न करने की सख्त हिदायत दी है.
डाबर की तरफ से दी गई ये दलील
डाबर के वकील एडवोकेट जवाहर लाल ने कहा “डाबर की चिंता यह थी कि पतंजलि अपने विज्ञापन में अन्य सभी च्यवनप्राश ब्रांडों का अपमान कर रही थी. अपने एक विज्ञापन में उन्होंने दावा किया, ‘केवल हम ही जानते हैं कि शास्त्रों के अनुसार च्यवनप्राश कैसे बनाया जाता है, अन्य नहीं जानते.’ यह उपभोक्ताओं को अन्य आयुर्वेदिक उत्पादों के बारे में गुमराह करता है.”
कैसे शुरू हुआ था पूरा विवाद ?
बता दें कि इस विवाद की शुरुआत साल 2017 में हुई थी. जब डाबर ने पतंजलि के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. कोर्ट ने उस समय पतंजलि को भ्रामक विज्ञापन चलाने से रोका था, हाईकोर्ट ने माना था कि पतंजलि के विज्ञापन में डाबर की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई जा रही है. जिससे बाजार में असंतुलन उत्पन्न हो सकता है. दिसंबर 2024 में डाबर ने फिर से नई याचिका दाखिल कर दी. जिसमें आरोप लगाया गया कि पतंजलि के विज्ञापनों में सीधे तौर पर यह दावा किया गया कि केवल पतंजलि का च्यवनप्राश ही प्राचीन आयुर्वेदिक परंपराओं के अनुसार तैयार किया गया है, जबकि अन्य ब्रांड्स को आयुर्वेद का सही ज्ञान नहीं है.
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