नई दिल्ली। ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (बीआईएफ) ने मैसेजिंग ऐप के इस्तेमाल के लिए लगातार सक्रिय सिम कार्ड अनिवार्य करने संबंधी सरकारी निर्देश पर मंगलवार को गंभीर चिंता जाहिर की और केंद्र से इसके क्रियान्वयन की समयसीमा पर रोक लगाने तथा ‘सिम-बाइंडिंग’ के मुद्दे पर हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करने का आग्रह किया। ‘सिम बाइंडिंग’ एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक मैसेजिंग ऐप यह सत्यापित करता है कि आपके डिवाइस में पंजीकृत सिम कार्ड सक्रिय है। अगर सिम हटा दिया जाता है, बदल दिया जाता है या निष्क्रिय कर दिया जाता है तो ऐप काम करना बंद कर देगा।
उपभोक्ता प्रभाव एवं जोखिम को लेकर जरूरी सवाल खड़े करते हैं : बीआईएफ
बीआईएफ ने कहा कि विदेश से होने वाली साइबर धोखाधड़ी को रोकने के अपने घोषित लक्ष्य के प्रति नेक इरादे के साथ ये निर्देश क्षेत्राधिकार, उपभोक्ता प्रभाव एवं जोखिम को लेकर जरूरी सवाल खड़े करते हैं। साथ ही दूरसंचार अधिनियम के अधिदेश या दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियमों के उद्देश्य से परे कई और दायित्व लाते हैं। बीआईएफ मेटा, गूगल और अन्य जैसी प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है। इसका नवीनतम रुख दूरसंचार कंपनियों के निकाय सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के साथ एक और गतिरोध को दर्शाता है जिसका मानना है कि सरकार के नवीनतम निर्देश से राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा और नागरिकों की सुरक्षा होगी। सीओएआई ने दूरसंचार संचालकों द्वारा निर्देश के निर्बाध कार्यान्वयन में सहयोग देने की सोमवार को प्रतिबद्धता व्यक्त की थी।

बीआईएफ ने बयान में कहा, ‘‘ बीआईएफ, दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा 28 नवंबर 2025 को जारी किए गए ‘सिम बाइंडिंग’ निर्देशों पर गंभीर चिंता व्यक्त करता है जिसमें यह अनिवार्य किया गया है कि ऐप-आधारित संचार सेवाएं उपयोगकर्ता के उपकरण में मौजूद विशिष्ट सिम कार्ड से लगातार जुड़ी रहें और वेब/डेस्कटॉप संस्करणों पर छह घंटे के बाद लॉगआउट हो जाए।’’ बीआईएफ ने इसे ‘‘निराशाजनक’’ करार दिया कि इतने दूरगामी परिचालन प्रभाव वाले निर्देश ‘‘बिना किसी सार्वजनिक परामर्श या उपयोगकर्ता-प्रभाव मूल्यांकन के’’ इतने कम कार्यान्वयन समयसीमा के साथ जारी किए गए हैं। बीआईएफ के अध्यक्ष टी. वी. रामचंद्रन ने कहा, ‘‘ बीआईएफ भारत के दूरसंचार साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकार के साथ रचनात्मक रूप से काम करने के लिए तैयार है…।’’
सरकार ने सोमवार को कहा था कि मैसेजिंग ऐप के इस्तेमाल के लिए अनिवार्य, निरंतर ‘सिम-डिवाइस बाइंडिंग’ पर उसका नया निर्देश सुरक्षा खामी को दूर करने के लिए जरूरी है। इस गड़बड़ी का फायदा अक्सर सीमापार साइबर अपराधी बड़े पैमाने पर डिजिटल धोखाधड़ी करने के लिए उठा रहे हैं। संचार मंत्रालय ने बयान में कहा था कि यह निर्देश उन मामलों पर लागू नहीं होगा जहां सिम मोबाइल में मौजूद है और उपयोगकर्ता अपने शहर से कहीं बाहर गया है। बयान में कहा गया, ‘‘दूरसंचार विभाग के ‘सिम-बाइंडिंग निर्देश एक ठोस सुरक्षा खामी को दूर करने के लिए जरूरी हैं। इसका फायदा प्राय: साइबर अपराधी बड़े पैमाने पर डिजिटल धोखाधड़ी करने के लिए उठा रहे हैं।’’
बयान के अनुसार, केवल 2024 में साइबर धोखाधड़ी से 22,800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। बैंकिंग और भुगतान ऐप में ‘डिवाइस बाइंडिंग’ और स्वचालित रूप से सत्र ‘लॉगआउट’ का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है ताकि अन्य गैर-भरोसेमंद उपकरणों से खातों में सेंध लगाने या किसी प्रकार के दुरुपयोग को रोका जा सके। इसी उद्देश्य से इसे ऐप-आधारित संचार मंच तक बढ़ाया गया है जो अब ‘साइबर धोखाधड़ी के केंद्र’ हैं। केंद्र ने पिछले सप्ताह कुछ निर्देश जारी कर यह सुनिश्चित करने को कहा था कि व्हाट्सएप, सिग्नल, टेलीग्राम जैसे ऐप-आधारित संचार सेवाएं उपयोगकर्ता के सक्रिय सिम कार्ड से लगातार जुड़ी रहें।




