Bihar Electon 2025 : बिहार की राजनीति में भोजपुरी स्टार पवन सिंह का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। बता दें कि 2024 लोकसभा चुनाव में पवन सिंह ने काराकाट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में एनडीए को करार झटका दिया था, तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि महज एक साल बाद वही पवन सिंह एनडीए के ‘चुनावी स्टार’ बनकर वापसी करेंगे।
बता दें कि 5 अक्टूबर को पवन सिंह औपचारिक रूप से भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे। दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली में उनकी मुलाक़ात एनडीए सहयोगी और आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा से हुई, जहां भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े और युवा नेता ऋतुराज सिन्हा भी मौजूद थे।
पवन सिंह ने उपेन्द्र कुशवाहा से की मुलाकात
पवन सिंह ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की। इसे बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सामाजिक गठबंधन में आई दरार को दूर करने के लिए राजग की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। पवन सिंह ने कुशवाहा से उनके आवास पर मुलाकात की। इस दौरान उनके साथ भाजपा महासचिव विनोद तावडे और पार्टी सचिव ऋतुराज सिन्हा भी थे। तावडे बिहार में भाजपा के संगठन प्रभारी हैं।

पवन सिंह ने 2024 के लोकसभा चुनावों में कुशवाहा की हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जब उन्होंने काराकाट सीट से निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा था। यह बैठक जाहिर तौर पर सिंह के आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना के बीच राज्यसभा सदस्य कुशवाहा को शांत करने के उद्देश्य से हुई थी। बाद में, तावडे ने संवाददाताओं से कहा कि पवन सिंह भाजपा के साथ हैं और आगामी चुनावों में राजग के लिए सक्रिय रूप से काम करेंगे। तावडे ने कहा कि कुशवाहा ने उन्हें आशीर्वाद दिया है।
लोकप्रिय भोजपुरी गायक को भाजपा ने पहली बार 2024 में पश्चिम बंगाल के आसनसोल से मैदान में उतारा था। हालांकि बाद में पार्टी ने उन पर यह आरोप लगने के बाद उन्हें चुनाव मैदान से हटने के लिए दबाव डाला कि उनके संगीत वीडियो और गीतों में बंगाली महिलाओं को अभद्र तरीके से दिखाया गया है। पार्टी द्वारा उन्हें बिहार से टिकट देने से मना करने के बाद, राजपूत जाति से आने वाले पवन सिंह ने काराकाट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। उच्च जातियों का एक वर्ग, खासकर राजपूत, उनके समर्थन में एकजुट हो गया, जिससे क्षेत्र के कुशवाह समुदाय में नाराजगी फैल गई और भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को कुछ सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। काराकाट लोकसभा चुनाव में कुशवाहा तीसरे स्थान पर रहे और यह सीट भाकपा (माले) ने जीती।