Tuesday, December 30, 2025
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Khaleda Zia Died: बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन, 80 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा, जानें राजनीतिक सफर

Khaleda Zia passes away: बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की अध्यक्ष और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया का मंगलवार को 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने ढाका के एवरकेयर अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनकी पार्टी ने आधिकारिक बयान जारी कर उनके निधन की पुष्टि की।

Khaleda Zia passes away: बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उन्होंने ढाका के एवर केयर हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली. वे काफी लंबे समय से गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं. उनकी पार्टी ने मंगलवार को एक बयान जारी कर उनके निधन की पुष्टि की है.

एवरकेयर हॉस्पिटल के डॉक्टर ने कही ये बात

बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया की मौत पर एवरकेयर हॉस्पिटल के डॉक्टर प्रोफेसर एफएम सिद्दीकी ने कहा, “कार्डियक अरेस्ट से उनकी मौत हुई. अब हमारा फर्ज है कि जब तक सरकार और पार्टी यह तय नहीं कर लेती कि अब क्या करना है, तब तक उन्हें शवगृह में रखा जाए. आज हमने एक देशभक्त को खो दिया.

1990 में सैन्य तानाशाह के खिलाफ छेड़ा था जन आंदोलन

खालिदा जिया ने बांग्लादेश में सैन्य तानाशाह के खिलाफ जन आंदोलन छेड़ कर 1990 में तत्कालीन तानाशाह और पूर्व सेना प्रमुख एच.एम. इरशाद का पतन करने में अहम भूमिका निभाई थी. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ उनकी तीखी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता ने एक पीढ़ी तक देश की राजनीति को आकार दिया.

खालिदा जिया बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं. उन पर दर्ज भ्रष्टाचार के मामलों को उन्होंने राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया था. जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ अंतिम भ्रष्टाचार मामले में उन्हें बरी कर दिया था, जिससे फरवरी में होने वाले आम चुनाव में उनके उम्मीदवार बनने का रास्ता साफ हो गया था.

‘शेख हसीना सरकार से 18 बार विदेश में इलाज की अनुमति मांगी’

BNP ने कहा कि 2020 में बीमारी के आधार पर जेल से रिहा होने के बाद जिया के परिवार ने उनकी प्रतिद्वंद्वी और तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार से कम से कम 18 बार विदेश में उनके इलाज की अनुमति मांगी थी, लेकिन सभी अनुरोध खारिज कर दिए गए. 2024 में हसीना के सत्ता से हटने के बाद नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने उन्हें विदेश जाने की अनुमति दी. जिया जनवरी में लंदन गई थीं और मई में स्वदेश लौटी थीं.

1981 में उनके पति की हत्या कर दी गई थी

वर्ष 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए बांग्लादेश के शुरुआती वर्षों में राजनीतिक अस्थिरता और तख्तापलट जैसे घटनाक्रम देखने को मिले. जिया के पति जियाउर रहमान ने 1977 में सेना प्रमुख के रूप में सत्ता संभाली और 1978 में बीएनपी की स्थापना की. 1981 में एक सैन्य तख्तापलट में उनकी हत्या कर दी गई. इसके बाद खालिदा जिया ने सैन्य तानाशाही के खिलाफ जन आंदोलन खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप 1990 में तत्कालीन तानाशाह और पूर्व सेना प्रमुख एच.एम. इरशाद का पतन हुआ.

1991 में पहली बार बनीं प्रधानमंत्री

खालिदा जिया ने 1991 में पहली बार प्रधानमंत्री पद संभाला. उन चुनावों में और इसके बाद कई चुनावों में उनकी प्रमुख प्रतिद्वंद्वी शेख हसीना रहीं, जो मुक्ति संग्राम के नेता शेख मुजीबुर रहमान की पुत्री थीं. 1996 के शुरुआती चुनाव में व्यापक बहिष्कार के बीच बीएनपी ने 300 में से 278 सीटें जीतीं, लेकिन कार्यवाहक सरकार की मांग के चलते जिया सरकार केवल 12 दिन ही चल सकी. उसी वर्ष जून में नए चुनाव कराए गए.

दूसरे कार्यकाल में लगे भारत विरोधी बयानबाजी और उग्रवाद के आरोप

जिया 2001 में फिर सत्ता में लौटीं और इस दौरान उनकी सरकार में जमात-ए-इस्लामी भी शामिल थी. उनके दूसरे कार्यकाल (2001-06) में भारत-विरोधी बयानबाजी और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवाद को लेकर आरोप लगे. इसी अवधि में उनके बड़े बेटे तारिक रहमान पर समानांतर सत्ता चलाने और भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे. 2004 में ढाका में हुए ग्रेनेड हमले के लिए शेख हसीना ने जिया सरकार और रहमान को जिम्मेदार ठहराया था.

जिया को भ्रष्टाचार के 2 अलग-अलग मामलों में 17 साल की सजा सुनाई गई थी. उनकी पार्टी ने आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया, जबकि हसीना सरकार ने कहा था कि इन मामलों में उसका कोई हस्तक्षेप नहीं है. 2020 में जिया को रिहा कर ढाका में एक किराए के घर में रखा गया, जहां से वह नियमित रूप से निजी अस्पताल जाती थीं.

अंतरिम सरकार ने दी विदेश में इलाज की अनुमति

अगस्त 2024 में अपनी सरकार के खिलाफ हुए विद्रोह के बाद हसीना सत्ता से हट गईं और देश छोड़कर चली गईं. इसके बाद अंतरिम सरकार ने जिया को विदेश में इलाज की अनुमति दी. वह कई वर्षों से सक्रिय राजनीति से दूर थीं, लेकिन मृत्यु तक BNP की अध्यक्ष बनी रहीं. पार्टी की कमान 2018 से कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में तारिक रहमान संभाल रहे थे.

बता दें कि जिया को आखिरी बार 21 नवंबर को ढाका छावनी में बांग्लादेश सेना के एक वार्षिक कार्यक्रम में देखा गया था, जहां वह व्हीलचेयर पर थीं और थकी हुई नजर आ रही थीं. उनके परिवार में बड़े बेटे तारिक रहमान है. उनके छोटे बेटे अराफात का 2015 में निधन हो गया था.

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Premanshu Chaturvedi
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