एशिया की पहली महिला लोकोपायलट सुरेखा यादव, जो अपने अद्वितीय साहस और सेवा के लिए जानी जाती हैं, इस महीने के अंत में रेलवे सेवा से सेवानिवृत्त होंगी। मध्य रेलवे के अनुसार, सुरेखा यादव 30 सितंबर को 36 वर्षों की सेवा के बाद विदाई लेंगी।
1989 में भारतीय रेलवे में भर्ती होने के बाद, सुरेखा ने 1990 में सहायक चालक बनते ही इतिहास रच दिया और एशिया की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर बनीं। महाराष्ट्र के सतारा जिले की रहने वाली सुरेखा ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया था और पुरुष-प्रधान पेशे में लगातार आगे बढ़ती रहीं।उन्होंने 1996 में पहली बार मालगाड़ी चलाई और 2000 में ‘मोटर वुमन’ के पद पर पदोन्नत हुईं। इसके बाद उन्होंने घाट सेक्शन में कार्य किया और मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन भी संभाला।
2023 में उन्हें एक और ऐतिहासिक उपलब्धि मिली जब उन्होंने सोलापुर से मुंबई सीएसएमटी तक पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन चलाई। अपने अंतिम कार्य के रूप में उन्होंने प्रतिष्ठित राजधानी एक्सप्रेस को इगतपुरी से सीएसएमटी तक चलाया।मध्य रेलवे ने सुरेखा यादव को महिला सशक्तीकरण की प्रतीक बताते हुए उनकी यात्रा को “प्रेरणादायक” और “पथप्रदर्शक” करार दिया है। रेलवे ने ‘एक्स’ पर लिखा कि सुरेखा ने न सिर्फ बाधाओं को तोड़ा, बल्कि अनगिनत महिलाओं को भी प्रेरित किया है।