Monday, July 21, 2025
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पश्चिम बंगाल विधानसभा में एंटी रेप बिल सर्वसम्मति से पास, दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान

कोलकाता, पश्चिम बंगाल विधानसभा ने विपक्ष के पूर्ण समर्थन के साथ राज्य का एंटी रेप बिल सर्वसम्मति से मंगलवार को पारित कर दिया.हालांकि सदन ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा विधेयक में प्रस्तावित संशोधन स्वीकार नहीं किए.बता दें कि कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में पिछले महीने एक चिकित्सक के साथ कथित दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद सोमवार को विधानसभा का 2 दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया.राज्य के कानून मंत्री मलय घटक ने विधानसभा में यह विधेयक पेश किया.

हम आपका पूरा समर्थन करते हैं : सुवेंदु अधिकारी

एंटी रेप बिल पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा, “हम इस कानून का तत्काल क्रियान्वयन चाहते हैं, यह आपकी(राज्य सरकार) जिम्मेदारी है. हम परिणाम चाहते हैं, यह सरकार की जिम्मेदारी है. हम कोई विभाजन नहीं चाहते, हम आपका पूरा समर्थन करते हैं, हम मुख्यमंत्री का वक्तव्य आराम से सुनेंगे, वह जो चाहें कह सकती हैं लेकिन आपको यह गारंटी देनी होगी कि यह विधेयक तुरंत लागू होगा।”

एंटी रेप बिल में क्या है ?

अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024’ शीर्षक वाले इस प्रस्तावित कानून का उद्देश्य रेप और यौन अपराधों से संबंधित नये प्रावधानों के जरिये महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा मजबूत करना है.

दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान

विधेयक के मसौदे में रेप पीड़िता की मौत होने या उसके स्थायी रूप से अचेत अवस्था में चले जाने की सूरत में ऐसे दोषियों के लिए मृत्युदंड के प्रावधान का प्रस्ताव किया गया है.इसके अतिरिक्त, मसौदे में प्रस्ताव किया गया है कि दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म के दोषी व्यक्तियों को आजीवन कारावास की सजा दी जाए, और उन्हें पेरोल की सुविधा न दी जाए.

प्रधानमंत्री ये नहीं कर पाए, इसलिए हम ये कर रहे हैं : ममता बनर्जी

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “.यह विधेयक सुनिश्चित करेगा कि महिला उत्पीड़न व बलात्कार जैसे मामलों में के लिए सख्त से सख्त सजा हो. इसमें भारतीय दंड संहिता और POCSO अधिनियम के प्रावधानों को और सख्त किया गया है. बलात्कार के दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है, अगर उनके कृत्यों के परिणामस्वरूप पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वे गंभीर मस्तिष्क क्षति का शिकार हो जाती हैं.इसके तहत अपराजिता टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा, जिसमें प्रारंभिक रिपोर्ट के 21 दिनों के भीतर सजा दी जाएगी.यहां से ये बिल पास होने के बाद राज्यपाल के पास जाएगा, उनके पास से पास होने के बाद राष्ट्रपति के पास जाएगा और उनकी मंजूरी के बाद ये इतिहास बन जाएगा. हर राज्य इसे मॉडल बनाएगा. प्रधानमंत्री ये नहीं कर पाए, इसलिए हम ये कर रहे हैं…”

Premanshu Chaturvedi
Premanshu Chaturvedihttp://jagoindiajago.news
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