Saturday, November 16, 2024
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Akhilesh Yadav News: अवैध खनन मामले में अखिलेश यादव को CBI का नोटिस, जानें क्या है पूरा मामला ?

नई दिल्ली, केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मामला दर्ज करने के 5 साल बाद अवैध खनन मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को गुरुवार को पूछताछ के लिए एक गवाह के रूप में बुलाया है. अधिकारियों ने बताया कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 160 के तहत जारी नोटिस में एजेंसी ने उन्हें 2019 में दर्ज मामले के संबंध में 29 फरवरी को पेश होने के लिए कहा है.इस धारा के तहत पुलिस अधिकारी को जांच में गवाहों को बुलाने की अनुमति होती है.मामला ई-निविदा प्रक्रिया का कथित उल्लंघन कर खनन पट्टे जारी करने से संबंधित है.इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे.

क्या है पूरा मामला ?

आरोप है कि 2012-16 के दौरान, जब यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तो लोकसेवकों ने अवैध खनन की अनुमति दी और खनन पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद अवैध रूप से लाइसेंस का नवीनीकरण किया.यह भी आरोप है कि अधिकारियों ने खनिजों की चोरी होने दी, पट्टाधारकों और चालकों से पैसे वसूले.खनिजों के अवैध खनन के मामले की जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई ने 2016 में 7 प्रारंभिक मामले दर्ज किए थे.अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यालय ने एक ही दिन में 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी.उन्होंने आरोप लगाया था कि अखिलेश यादव जिनके पास कुछ समय तक खनन विभाग भी था उन्होंने ई-निविदा प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए 14 पट्टों को मंजूरी दी थी, जिनमें से 13 को 17 फरवरी 2013 को मंजूरी दी गई थी.

सीबीआई ने दावा किया कि 17 फरवरी, 2013 को 2012 की ई-निविदा नीति का उल्लंघन करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद, हमीरपुर की जिलाधिकारी बी. चंद्रकला द्वारा पट्टे दिए गए थे.एजेंसी ने 2012-16 के दौरान हमीरपुर जिले में खनिजों के कथित अवैध खनन की जांच के सिलसिले में आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला, समाजवादी पार्टी (सपा) के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) रमेश कुमार मिश्रा और संजय दीक्षित सहित 11 लोगों के खिलाफ अपनी प्राथमिकी के संबंध में जनवरी 2019 में 14 स्थानों पर तलाशी ली थी.प्राथमिकी के अनुसार, यादव 2012 और 2017 के बीच राज्य के मुख्यमंत्री थे और 2012-13 के दौरान खनन विभाग उनके पास था जिससे जाहिर तौर पर उनकी भूमिका संदेह के घेरे में आ गई.साल 2013 में उनकी जगह गायत्री प्रजापति ने खनन मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था जिन्हें चित्रकूट निवासी एक महिला द्वारा दुष्कर्म का आरोप लगाए जाने के बाद 2017 में गिरफ्तार कर लिया गया था.

सीबीआई के नोटिस पर क्या बोले अखिलेश यादव

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम में इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,”सपा सबसे ज्यादा निशाने पर है.साल 2019 में भी मुझे किसी मामले में नोटिस मिला था, क्योंकि तब भी लोकसभा चुनाव था.उन्होंने कहा, ‘अब जब चुनाव आ रहा है तो मुझे फिर से नोटिस मिल रहा है.मैं समझता हूं कि जब चुनाव आएगा तो नोटिस भी आएगा.यह घबराहट क्यों है? “अगर पिछले 10 वर्षों में आपने (भाजपा ने) बहुत काम किया है तो फिर आप क्यों घबराए हुए हैं? प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा,”प्रधानमंत्री यहां एक्सप्रेसवे पर ‘हरक्यूलिस’ विमान से उतरे.यह समाजवादियों का काम था.आप देश में ऐसा राजमार्ग क्यों नहीं बना सकते जहां ‘हरक्यूलिस’ विमान उतर सके.”

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