MP SIR : भोपाल। मध्यप्रदेश में मतदाता सूचियों के चल रहे गहन पुनरीक्षण (एस आई आर) पर तंज कहते हुए, वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने शनिवार को दावा किया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को 11 सालों में सिर्फ 2,400 घुसपैठिए मिले, जबकि कांग्रेस नीत संप्रग शासन के दौरान ऐसे 88,000 लोगों को उनके देश वापस भेजा गया था। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सिंह इस दावे का ज़िक्र कर रहे थे कि एस आई आर का मकसद घुसपैठियों को बाहर निकालना है।
पिछले 11 सालों में सिर्फ 2,400 घुसपैठिए मिले : दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह ने पत्रकारों से कहा, भाजपा बिहार विधानसभा चुनाव में ‘घुसपैठिए’ चिल्ला रही है, लेकिन सच्चाई क्या है? 2004 से 2014 तक केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दो कार्यकाल के दौरान 88,000 ऐसे लोगों को वापस भेजा गया जो देश के नागरिक नहीं थे। उन्होंने कहा, ‘लेकिन भाजपा के पिछले 11 सालों में सिर्फ 2,400 घुसपैठिए मिले हैं। इसका मतलब है कि उन्हें संप्रग शासन में मिले घुसपैठियों की संख्या का तीन प्रतिशत भी नहीं मिला है।’ उन्होंने कहा कि इसके बावजूद, भाजपा हमेशा घुसपैठियों का मुद्दा उठाती रहती है।
सन् 2003 में जन्म-तिथि, राशन कार्ड, स्कूल सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेज पर्याप्त थे, लेकिन अब नागरिकता प्रमाण-पत्र मांगा जा रहा है, जो 99% भारतीयों के पास नहीं है।
— MP Congress (@INCMP) November 8, 2025
कांग्रेस शासन में 10 साल में 88 हजार घुसपैठियों को वापिस भेजा जबकि भाजपा ने 11 साल में केवल 2400 घुसपैठिये ढूंढे, लेकिन… pic.twitter.com/JBEt3jeOob
एस आई आर का काम इस हफ्ते की शुरुआत में मध्यप्रदेश में शुरू हुआ। सिंह ने कहा कि पहले यह निर्वाचन आयोग का काम था कि हर नागरिक को वोट देने का अधिकार मिले, लेकिन एस आई आर के तहत नागरिकता साबित करने की ज़िम्मेदारी अब लोगों पर डाल दी गई है। उन्होंने पूछा कि अगर कोई व्यक्ति नागरिकता साबित नहीं कर पाता है तो इसका क्या नतीजा होगा। मतदाता सूचियों में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए, कांग्रेस नेता ने निर्वाचन आयोग से चुनाव की घोषणा के तुरंत बाद मतदाता सूचियों को ‘फ्रीज़’ करने का आग्रह किया ताकि नामों को जोड़ा या हटाया न जा सके।
सिंह ने कहा कि 2003 में जन्म प्रमाण पत्र, राशन कार्ड और स्कूल प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज़ काफी थे, लेकिन अब नागरिकता प्रमाण पत्र मांगे जा रहे हैं, जो ’99 प्रतिशत भारतीयों के पास नहीं हैं।’ उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों को दी गई मतदाता सूची और मतदान के दिन पीठासीन अधिकारी के पास मौजूद सूची में अक्सर फर्क होता है, जिससे योग्य मतदाता छूट जाते हैं।




