काठमांडू। बढ़ते तापमान, पिघलते हिमनद एवं बर्फ तथा तेजी से प्रतिकूल हो रही मौसम दशाओं के बावजूद पर्वतरोही समुदाय ने इस साल माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की 70 वीं वर्षगांठ का जश्न मनाया तथा चार भारतीयों समेत करीब 500 पर्वतारोहियों ने यह सबसे ऊंची चोटी फतह की। न्यूजीलैंड के एडमंडल हिलेरी और नेपाल के शेरपा तेनजिंग नार्गे ने 29 मई, 1953 को 8,848.86 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट को फतह किया था। तब से भारत और नेपाल समेत दुनियाभर के पर्वतारोही विश्व की इस सबसे ऊंची चोटी के प्रति आकर्षित हुए, उनमें कई इस चोटी पर पहुंच गये जबकि इसी क्रम में कई की जान चली गयी। नेपाली भाषा में माउंट एवरेस्ट को सागरमाथा कहा जाता है।
आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि 1953 में एडमंड -नार्गे के माउंट एवरेस्ट फतह करने के बाद करीब 7000 पर्वतरोहियों ने माउंट एवरेस्ट पर सफल चढाई की जबकि 300 से अधिक पर्वतारोहियों की जान चली गयी। साल 2023 अपवाद नहीं रहा और इस साल भी 103 महिलाओं समेत 478 पर्वतारोहियों ने वसंत ऋतु में माउंट एवरेस्ट पर चढाई की । इतनी ऊंची चोटी की चढाई के लिए सालभर में महज वसंतु ऋतु की एकमात्र समयावधि है। इस साल चार भारतीय माउंट एवरेस्ट पर पहुंचे जबकि एक की जान चली गयी। याशि जैन, मिथिल राजू, सुनील कुमार और पिंकी हैरिस ने 17 मई को दुनिया की इस सबसे ऊंची चोट पर सफल चढाई की।
भारतीय पर्वतारोही सुजेन लियोपाल्डिना की 18 मई को इस चोटी पर चढ़ने के प्रयास के दौरान एवरेस्ट आधार शिविर में मौत हो गयी। उन्हें पेसमेकर लगा हुआ था। आधिकारियों ने बताया कि माउंट एवरेस्ट के लिए पर्वतारोहण अभियानों के दौरान चार नेपालियों, एक भारतीय और एक चीनी समेत 11 पर्वतारोहियों की मौत हो गयी जबकि आठ लापता हो गये।
नेपाल के कामी रीता शेरपा (53) ने 28 बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का नया वर्ल्ड रिकार्ड बनाया । इस साल ही उन्होंने 17 मई और 23 मई को दो बार इस चोटी पर सफल चढ़ाई की। 2022 तक कामी के करीब उनके ही देश के शेरपा पसांग दावा (46) का भी रिकार्ड था जिन्होंने इस साल 14 मई को 26 वीं बार तथा 17 मई को 27 वीं बार इस चोटी पर चढाई की।