Wednesday, November 19, 2025
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Rahul Gandhi के खिलाफ 272 रिटायर्ड न्यायाधीशों-अफसरों का नोटिस, कहा- चुनाव आयोग की छवि खराब कर रही कांग्रेस

पूर्व न्यायाधीशों, पूर्व नौकरशाहों और पूर्व सैन्य अधिकारियों सहित 272 हस्तियों ने एक संयुक्त बयान में राहुल गांधी की आलोचना करते हुए कहा कि वह चुनावी विफलताओं से उत्पन्न हताशा में निर्वाचन आयोग की गरिमा को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

Rahul Gandhi News : नई दिल्ली। पूर्व न्यायाधीशों, सेवानिवृत्त नौकरशाहों और सशस्त्र बल के सेवानिवृत्त अधिकारियों के एक समूह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा है कि वह ‘‘बार-बार चुनावी विफलता के कारण हताश होने के चलते निर्वाचन आयोग की गरिमा को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। इन 272 हस्तियों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने ‘‘अविश्वसनीय रूप से असभ्य बयानबाजी’’ करते हुए ‘वोट चोरी’ के आरोपों को लेकर निर्वाचन आयोग पर बार-बार हमला किया है और दावा किया है कि जब अधिकारी आयोग से सेवानिवृत्त हो जाएंगे तो वह उन्हें ‘‘परेशान’’ करेंगे।

राहुल गांधी द्वारा शपथपत्र के साथ कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं हुई

इसमें कहा गया है, फिर भी, ऐसे तीखे आरोपों के बावजूद उनके (राहुल) द्वारा निर्धारित शपथपत्र के साथ कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई है, ताकि वह निराधार आरोप लगाने और अपने कर्तव्य का पालन कर रहे लोक सेवकों को धमकाने के लिए अपनी जवाबदेही से बच सकें। राष्ट्रीय हरित अधिकरण के अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल, पूर्व न्यायाधीश एस एन ढींगरा, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता, न्यायमूर्ति राजीव लोचन, खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ के पूर्व प्रमुख संजीव त्रिपाठी और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के पूर्व निदेशक वाई सी मोदी सहित अन्य ने इस बयान पर हस्ताक्षर किए हैं।

बयान में कहा गया है, यह व्यवहार बार-बार चुनावी असफलता और हताशा से उपजे गुस्से को दर्शाता है, जिसमें लोगों से फिर से जुड़ने की कोई ठोस योजना नहीं है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों के कई वरिष्ठ नेता तथा वामपंथी झुकाव वाले गैर-सरकारी संगठन मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण के खिलाफ इसी तरह की तीखी बयानबाजी में गांधी के साथ शामिल हो गए हैं और यहां तक कि आयोग को ‘‘भाजपा की बी-टीम’’ करार दिया गया है।

बयान में कहा गया है, ऐसी उग्र बयानबाजी भावनात्मक रूप से प्रभावीशाली हो सकती है – लेकिन जांच के दौरान यह ध्वस्त हो जाती है, क्योंकि निर्वाचन आयोग ने अपनी एसआईआर कार्यप्रणाली को सार्वजनिक रूप से साझा किया है, अदालत द्वारा अनुमोदित तरीकों से सत्यापन की निगरानी की है, अयोग्य नामों को हटाया है और नए पात्र मतदाताओं को जोड़ा है।

Mukesh Kumar
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