काठमांडू, नेपाल में बारिश के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन में मरने वालों की संख्या बढ़कर रविवार को 112 हो गई है. रविवार को सशस्त्र पुलिस बल और नेपाल पुलिस से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 68 लोग लापता हैं और 100 से अधिक लोग घायल हैं. बता दें कि पूर्वी और मध्य नेपाल का बड़ा हिस्सा शुक्रवार से जलमग्न है और देश के कई हिस्सों में अचानक बाढ़ आ गई है.
काठमांडू में पिछले 40-45 साल में सबसे विनाशकारी बाढ़
काठमांडू घाटी में सबसे ज्यादा 48 लोगों की मौत हुई है. कम से कम 195 मकान और 8 पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं.सुरक्षाकर्मियों ने करीब 3,100 लोगों को बचाया. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उन्होंने काठमांडू घाटी में पिछले 40-45 साल में इतनी विनाशकारी बाढ़ नहीं देखी.
काठमांडू में 1970 के बाद से सबसे अधिक बारिश दर्ज
बता दें कि नेपाल में इस वर्ष मॉनसून के दौरान औसत से अधिक वर्षा हुई है. काठमांडू में शनिवार को 1970 के बाद से सबसे अधिक बारिश दर्ज की गई. 1970 में ही नेपाल ने पहली बार देश में बारिश को मापने और रिकॉर्ड करने की प्रणाली शुरू की थी. बारिश के कारण सभी नदियां उफान पर हैं. इसकी वजह से काठमांडू के कुछ हिस्सों में पानी भर गया है. कई घर पानी में डूब गये हैं.
बागमती नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही
‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटेग्रेटेड माउनटेन डेवलेपमेंट’ (आईसीआईएमओडी) में जलवायु और पर्यावरण विशेषज्ञ अरुण भक्ता श्रेष्ठ ने कहा, ‘‘मैंने काठमांडू में पहले कभी इतने बड़े पैमाने पर बाढ़ नहीं देखी.’’आईसीएमओडी द्वारा शनिवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि काठमांडू की मुख्य नदी बागमती शुक्रवार और शनिवार को पूर्वी तथा मध्य नेपाल में मूसलाधार बारिश के बाद से खतरे के निशान से ऊपर बह रही है.इसमें कहा गया है कि बंगाल की खाड़ी में कम दबाव की प्रणाली और मॉनसून की स्थिति के कारण शनिवार को असाधारण रूप से तीव्र वर्षा हुई.वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पूरे एशिया में बारिश की मात्रा और समय में बदलाव आ रहा है.
बाढ़ और भूस्खलन से नेपाल में जनजीवन ठप
बाढ़ और भूस्खलन के कारण नेपाल के कई हिस्सों में जनजीवन ठप हो गया है. कई राजमार्ग और सड़कें अवरुद्ध हैं, सैकड़ों मकान और पुल बह गए हैं और सैकड़ों परिवार विस्थापित हो गए हैं. सड़क अवरुद्ध होने के कारण विभिन्न स्थानों पर हजारों यात्री फंसे हुए हैं.