मांसाहार के मुकाबले शाकाहार, पर्यावरण के अधिक अनुकूल
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ध्यन में हुआ खुलासा
ऑक्सफोर्ड। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार 55,000 लोगों के आहार डेटा का अध्ययन किया गया और उन्होंने जो खाया या पिया उसे पांच प्रमुख उपायों के साथ जोड़ा गया। जिनमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, भूमि उपयोग, जल उपयोग, जल प्रदूषण और जैव विविधता शामिल हैं। अध्ययन के दौरान पाया कि, अधिक मांस खाने वालों की तुलना में शाकाहारियों का आहार पर्यावरण को केवल 30 प्रतिशत प्रभावित करता है। इस अध्ययन के जरिए इस बात का पता लगाना था कि, कौन—सा भोजन पर्यावरण के अनुकूल है और कौन—सा नहीं।
जिन लोगों ने इस अध्ययन में भाग लिया, उन्होंने बताया कि उन्होंने 12 महीनों में क्या खाया और पीया। उन्हें आहार संबंधी आदतों के आधार पर छह अलग-अलग समूहों में वर्गीकृत किया गया। वीगन, शाकाहारी, मछली खाने वाले, इसके साथ ही कम, मध्यम और ज्यादा मांस खाने वाले अलग।
इन सभी की आहार रिपोर्ट को एक डेटासेट से जोड़ा गया। जिसमें 57,000 खाद्य पदार्थों के पर्यावरणीय प्रभाव की जानकारी थी। महत्वपूर्ण रूप से, डेटासेट इस बात पर ध्यान देता है कि भोजन का उत्पादन कैसे और कहां किया जाता है। उदाहरण के तौर पर स्पेन में ग्रीनहाउस में उगाई गई गाजर का यूके में एक खेत में उगाई गई गाजर से अलग प्रभाव होगा। यह पिछले अध्ययनों पर आधारित है, जो उदाहरण के लिए मानते हैं कि सभी प्रकार की ब्रेड या सभी स्टेक का पर्यावरणीय प्रभाव समान होता है।
चौंकाने वाली बात
सबसे चौंकाने वाली बात रही कि, वीगन आहार सबसे टिकाऊ मांसाहार की तुलना में अधिक पर्यावरण-अनुकूल था। दरअसल, वीगन डाइट एक ऐसी डाइट है जिसमें पशु या उनके जरिए तैयार किए गए किसी उत्पाद को नहीं खाया जाता है। इनमें डेयरी प्रोडक्ट, दूध, शहद, पनीर, मक्खन, अंडे और मांस जैसी चीजें शामिल हैं। इस डाइट में केवल फलीदार पौधे, अनाज, बीज, फल, सब्ज़ियां, नट्स और ड्राए फ्रूट्स शामिल होते हैं।
इसका मतलब दो चरमपंथियों, वीगन और अति मांसाहारी के बीच भारी अंतर हो सकता है। उदाहरण के लिए, हमारे अध्ययन में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के मामले में शाकाहारी लोगों का आहार प्रभाव उच्च मांस खाने वालों का केवल 25% था। ऐसा इसलिए है, क्योंकि मांस अधिक भूमि का उपयोग करता है, जिसका अर्थ है अधिक वनों की कटाई और पेड़ों में कम कार्बन संग्रहीत होता है। इस दौरान जानवरों को खिलाने के लिए जो पौधे उगाए जाते हैं उन्हें बढ़ाने के लिए उन पर आमतौर पर जीवाश्म ईंधन का उपयोग किया जाता है।
वहीं गाय और अन्य जानवर सीधे तौर पर स्वयं गैस उत्सर्जित करते हैं। यह सिर्फ उत्सर्जन नहीं है। उच्च मांस खाने वालों की तुलना में, शाकाहारियों का भूमि उपयोग के लिए आहार प्रभाव केवल 25%, जल उपयोग के लिए 46%, जल प्रदूषण के लिए 27% और जैव विविधता के लिए 34% था। यहां तक कि कम मांस वाले आहार का भी उच्च मांस आहार के अधिकांश पर्यावरणीय उपायों पर केवल 70% प्रभाव पड़ा।
वैश्विक प्रभाव
ये निष्कर्ष महत्वपूर्ण हैं क्योंकि खाद्य प्रणाली वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग 30%, दुनिया के मीठे पानी के उपयोग के 70% और मीठे पानी के प्रदूषण के 78% के लिए जिम्मेदार है। दुनिया की लगभग तीन-चौथाई बर्फ-मुक्त भूमि मानव उपयोग से प्रभावित हुई है, मुख्य रूप से कृषि और वनों की कटाई जैसे भूमि उपयोग परिवर्तन के लिए जो जैव विविधता हानि का एक प्रमुख स्रोत है।
युके में कम खा रहे मांस
यूके में, पिछले एक दशक से लेकर 2018 तक मांस की खपत में गिरावट आई है, लेकिन पर्यावरणीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य रणनीति और यूके की जलवायु परिवर्तन समिति ने अतिरिक्त 30% -35% कटौती की सिफारिश की है।
हम जो खाते हैं उसके बारे में हम जो चुनाव करते हैं वह व्यक्तिगत होता है। ये बहुत गहरी आदतें हैं जिन्हें बदलना मुश्किल हो सकता है। अध्ययन के जरिए इस बात के सबूत जुटाए रहे हैं कि, खाद्य प्रणाली का वैश्विक पर्यावरण और स्वास्थ्य पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है, जिसे अधिक पौधे-आधारित आहार की ओर रूख करके कम किया जा सकता है।