हमारे राजस्थान प्रदेश का शनिवार को 75वां जन्म दिन है। इस दिन राजस्थान के लोगों की वीरता, दृढ़ इच्छाशक्ति तथा बलिदान को नमन किया जाता है। यहां की लोक कलाएं, समृद्ध संस्कृति, महल, व्यंजन आदि विशिष्ट पहचान रखते हैं। इस दिन कई उत्सव और आयोजन होते हैं जिनमें राजस्थान की अनूठी संस्कृति का दर्शन होता है। आइए जानते हैं कि कैसे राजस्थान का नामकरण हुआ। आजादी से पहले यहां अलग-अलग रियासतें थीं। इनमें अलग-अलग राजा शासन करते थे।
आजादी के बाद जब देश में लोकतंत्र लागू हुआ तो राजाओं का शासन चला गया। चूंकि यह स्थान पहले राजाओं का स्थान रहा है। इसी कारण इस प्रदेश का नाम भी राजस्थान रख दिया गया। 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ, तब अलग-अलग राज्यों के गठन का काम शुरू हुआ। मध्य पश्चिमी भारत में कई राजाओं की रियासतें थीं। इन रियासतों का एकीकरण करके वृहत राजस्थान संघ की स्थापना की गई, जिसे राजपूताना नाम से भी जाना जाता था।
पहले अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली की रियासतों को एक किया गया। बाद में जयपुर, जोधपुर, जैसलमेल और बीकानेर की रियासतों का भी विलय गिया गया। कुल 7 चरणों में राजस्थान का एकीकरण हुआ, जिसे 30 मार्च 1949 को अंतिम रूप दिया गया। राजस्थान के एकीकरण में सरदार वल्लभ भाई पटेल का विशेष योगदान रहा। हर वर्ष 30 मार्च को राजस्थान स्थापना दिवस मनाया जाता है। शनिवार को राजस्थान 75 साल का हो गया।