— साल 2027 तक वेल्स के तट पर अंडरवाटर बेस बनाने की योजना
समुद्र के नीचे की दुनिया आज भी वो राज है, जो पूरी तरह से सुलझ नहीं पाया है। आज भी समुद्र की गहराइयों में अनगिनत अनोखे जीव और वनस्पतियां हैं। सागर के इसी राज को जानने के लिए अब अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कमर कस ली है। अब वैज्ञानिक शोधकर्ताओं के एक दल को जमीन से करीब 600 फीट से ज्यादा नीचे भेजने की तैयारी में हैं। खास बात यह है कि ये वैज्ञानिक करीब 28 दिन यहीं रहेंगे।
वेल्स के तट पर बनेगा अंडरवाटर बेस
जानकारी के अनुसार वैज्ञानिक 2027 तक वेल्स के तट पर अंडरवाटर बेस बनाने की योजना बना रहे हैं। यह बेस जमीन से करीब 660 फीट नीचे होगा। इसको ‘एपिपेलैजिक जोन’ में बनाया जाएगा, इसे नाम दिया गया है ‘सेंटिनल’। इस बेस की खासियत यह है कि इसमें शोधकर्ता कुछ घंटे नहीं बल्कि पूरे 28 दिनों तक रुककर अपने शोध कर सकेंगे। दरअसल, समुद्र की गहराई ज्यादा होने के कारण शोधकर्ता वहां बहुत ज्यादा देर ठहर नहीं पाते हैं। ऐसे में शोध कार्य अधूरे रह जाना एक बड़ी परेशानी बन गया था, जिसे हल करने के लिए ‘सेंटिनल’ बनाया जा रहा है।
इसलिए चुना ‘एपिपेलैजिक जोन’
समुद्री प्रौद्योगिकी और अन्वेषण फर्म डीईईपी रिसर्च लैब्स के वैज्ञानिकों के अनुसार ‘एपिपेलैजिक जोन’ इसलिए चुना गया है, क्योंकि इसी जोन में 90 प्रतिशत समुद्री जीवन पाया जाता है। इस क्षेत्र में सूरज की रोशनी अधिक पहुंचती है। सिर्फ सतह से देखने के बजाय जब शोधकर्ता समुद्र की गहराइयों में व्यापक समय बिताएंगे तो उन्हें बहुत कुछ नया जानने को मिलेगा। दरअसल, अब तक अध्ययन सबमर्सिबल के माध्यम से किए गए हैं, लेकिन यह कुछ ही घंटों के लिए नीचे रह सकती है। ऐसे में 28 दिन तक अध्ययन करने से बहुत कुछ हासिल होगा।
छोटे घर जैसा है ‘सेंटिनल’
वैज्ञानिकों की ओर से बनाए गए ‘सेंटिनल’ का डिजाइन किसी छोटे घर जैसा है। इसमें हॉल के साथ ही मेजेनाइन मंजिल में प्रयोगशालाएं होंगी। शोधकर्ताओं के रुकने के लिए यहां निजी बैडरूम्स भी बनाए गए हैं। हर बेडरूम में एक सिंगल बेड और एक छोटी सी साइड टेबल रखी गई है। इसी के साथ इसमें एक बड़ा बाथरूम भी दिया गया है।
महासागरों को संरक्षित करने की जरूरत
डीईईपी के अध्यक्ष स्टीव एथरटन ने कहा कि हमें महासागरों को संरक्षित करने की जरूरत है। ऐसा करने के लिए हमें उन्हें समझने की आवश्यकता है। दुनिया जिन कई पीढ़ीगत चुनौतियों का सामना कर रही है, उनके केंद्र में महासागर हैं और वे ऐसे अवसर भी प्रदान करते हैं जिन्हें हमने अभी तक समझना भी शुरू नहीं किया है। वे हमें प्रभावित करते हैं।