नई दिल्ली : राम मंदिर के निर्माण और श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा विषय पर चर्चा के दौरान बोलते हुए शनिवार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि राम के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती और 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का दिन भारत को विश्वगुरु बनने के मार्ग पर ले जाना वाला है,उन्होंने लोकसभा में शनिवार को नियम 193 के तहत ‘ऐतिहासिक श्रीराम मंदिर के निर्माण और श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा’ विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए यह भी कहा कि 22 जनवरी का दिन इतिहास में 10 हजार साल तक याद रखा जाएगा
”22 जनवरी का दिन ऐतिहासिक दिन”:
अमित शाह ने कहा कि मैं आज अपने मन की बात और देश की जनता की आवाज को इस सदन के सामने रखना चाहता हूं,
जो वर्षों से कोर्ट के कागजों में दबी हुई थी, मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उसे आवाज भी मिली और अभिव्यक्ति भी मिली
22 जनवरी का दिन 1528 में शुरू हुए एक संघर्ष और एक आंदोलन के अंत का दिन है,1528 से राम मंदिर की लड़ाई लड़ने वाले संतों-संगठनों को मैं आज के दिन याद करता हूं, वे आज जहां भी होंगे, आनंद की अनुभूति कर रहे होंगे, हजारों लोग चले गए,कई पीढ़ियां चल गईं, लेकिन वे राम मंदिर के निर्माण का दिन नहीं देख पाए। हम बड़े सौभाग्यशाली हैं
‘वो भारत को नहीं जानते”:
अमित शाह ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन से अनभिज्ञ होकर कोई भी इस देश के इतिहास को पढ़ ही नहीं सकता। 1528 से हर पीढ़ी ने इस आंदोलन को किसी न किसी रूप में देखा है,ये मामला लंबे समय तक अटका रहा, भटका रहा। मोदी जी के समय में ही इस स्वप्न को सिद्ध होना था और आज देश ये सिद्ध होता देख रहा है,गृह मंत्री ने कहा कि जो लोग राम के अलावा भारत की कल्पना करते हैं वो भारत को नहीं जानते और वो गुलामी के काल का प्रतिनिधित्व करते हैं।
”राम राज्य किसी एक धर्म और संप्रदाय के लिए नहीं है”:
कई भाषाओं, कई प्रदेशों और कई प्रकार के धर्मों में भी रामायण का जिक्र, रामायण का अनुवाद और रामायण की परंपराओं को आधार बनाने का काम हुआ है,अमित शाह ने कहा कि राम और राम के चरित्र को फिर से प्रतिस्थापित करने का काम मोदी जी के हाथ से हुआ है