Tuesday, July 9, 2024
Homeताजा खबरNCERT की किताबों में हुआ बदलाव,बाबरी मस्जिद, गुजरात दंगे के संदर्भ हटाए...

NCERT की किताबों में हुआ बदलाव,बाबरी मस्जिद, गुजरात दंगे के संदर्भ हटाए गए.जानें डिटेल्स

नई दिल्ली,राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने अपनी पाठ्यपुस्तकों में बदलाव करते हुए अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने, गुजरात दंगों में मुसलमानों के मारे जाने और मणिपुर के भारत में विलय के संदर्भ में संशोधन किया है.NCERT ने हालांकि संशोधित गए संदर्भों पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि बदलाव नियमित अद्यतनीकरण का हिस्सा हैं और इसका संबंध नए पाठ्यक्रम ढांचे (एनसीएफ) के अनुसार नई पुस्तकों के विकास से नहीं है.यह बदलाव कक्षा 11 और 12 और अन्य की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में किया गया है.

गुजरात दंगों के संदर्भ में यह बदलाव

NCERT की पाठ्यक्रम मसौदा समिति द्वारा तैयार किए गए बदलावों का विवरण देने वाले एक दस्तावेज़ के अनुसार, राम जन्मभूमि आंदोलन के संदर्भों को ‘राजनीति में नवीनतम घटनाक्रम के अनुसार’ बदल दिया गया है. कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तक में धर्मनिरपेक्षता से जुड़े अध्याय-8 में पूर्व में कहा गया था, ‘2002 में गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में 1,000 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे.संशोधन के बाद इस वाक्य को अब ‘2002 में गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए’ कर दिया गया है.बदलाव के पीछे एनसीईआरटी का तर्क है, ”किसी भी दंगे में सभी समुदायों के लोगों का नुकसान होता है.यह सिर्फ एक समुदाय नहीं हो सकता.

POK के संदर्भ में यह बदलाव

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुद्दे पर पहले की पाठ्यपुस्तक में कहा गया था, ‘भारत का दावा है कि यह क्षेत्र अवैध कब्जे में है.पाकिस्तान इस क्षेत्र को आज़ाद पाकिस्तान के रूप में वर्णित करता है.बदले हुए संस्करण में कहा गया है, ‘हालांकि, यह भारतीय क्षेत्र है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है और इसे पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) कहा जाता है.बदलाव के पीछे एनसीईआरटी का तर्क यह है कि ‘जो बदलाव लाया गया है वह जम्मू-कश्मीर के संबंध में भारत सरकार की नवीनतम स्थिति से पूरी तरह मेल खाता है’.

मणिपुर के संदर्भ में बदलाव

मणिपुर पर, पहले की पाठ्यपुस्तक में कहा गया था, ‘भारत सरकार मणिपुर की लोकप्रिय निर्वाचित विधानसभा से परामर्श किए बिना, सितंबर 1949 में विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए महाराजा पर दबाव डालने में सफल रही.इससे मणिपुर में बहुत गुस्सा और आक्रोश पैदा हुआ, जिसके परिणाम का अहसास अभी भी किया जा रहा है.बदले हुए संस्करण में कहा गया है, ‘भारत सरकार सितंबर 1949 में महाराजा को विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मनाने में सफल रही.

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments